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बिहार चुनाव: महागठबंधन में छोटे दलों की बड़ी ख्वाहिश, क्या तेजस्वी यादव पूरी कर पाएंगे मन की मुराद?

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. सियासी दल राजनीतिक समीकरण साधने के साथ-साथ गठजोड़ बनाने में जुटे हुए हैं. आरजेडी के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन, जिसे महागठबंधन भी कहा जाता है, इसमें शामिल छोटे दलों की बड़ी सियासी ख्वाहिश सामने आने लगी है. सीपीआई माले ने 45 सीटें और मुकेश सहनी ने 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की डिमांड रखी है. सीपीआई माले और मुकेश सहनी की मन की मुराद को तेजस्वी यादव क्या पूरा कर पाएंगे?

इंडिया गठबंधन का हिस्सा बिहार में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले, मुकेश सहनी की वीआईपी और पशुपति पारस की पार्टी एलजेपी है. सीट शेयरिंग को लेकर अभी तक कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है. ऐसे में इंडिया गठबंधन के दल जिस तरह से अपनी डिमांड रख रहे हैं, वो आरजेडी के गले ही फांस बनता जा रहा है.

माले और सहनी ने बढ़ाई टेंशन

बिहार के पटना में इंडिया गठबंधन की गुरुवार को बैठक होनी है, लेकिन पहले घटक दलों ने सीट की डिमांड रख दी है. प्रदेश की कुल 243 सीटों में से सीपीआई माले ने 45 सीटों पर दावेदारी ठोंकी है. माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि पार्टी ने 40-45 सीटों पर अपनी तैयारी पूरी कर ली है, जिन पर हमें चुनाव लड़ना है.

वहीं, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने भी अपनी सीटों की डिमांड रखी है. सहनी ने समस्तीपुर में साफ कहा कि उनकी पार्टी ने मार्च में ही तय कर लिया था कि 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. VIP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ही फैसला लिया गया था, इसमें से दो-चार सीट पर ही फेरबदल हो सकता है.

माले कैसे बढ़ा रही बार्गेनिंग पावर

सीपीआई माले अपनी सियासी बार्गेनिंग पावर बढ़ाने के लिए यात्रा निकालने जा रही है. दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि उनकी पार्टी 12 से 27 जून तक ‘बदलो सरकार, बदलो बिहार’ नाम से चार यात्राएं शुरू कर रही, जो शाहाबाद, मगध, चंपारण और तिरहुत क्षेत्र में सियासी माहौल बनाने की कवायद करेगी. इस यात्रा के बहाने माले अपनी सियासी ताकत को बढ़ाने और आरजेडी-कांग्रेस के सामने सीटों की डिमांड को पूरा करने का दांव चल रही है.

2020 का सीट शेयरिंग फॉर्मूला

2020 में महागठबंधन ने वीआईपी और पशुपति पारस की पार्टी शामिल नहीं थी. इस तरह से आरजेडी ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था, कांग्रेस ने 70, सीपीआई माले ने 19, सीपीआई ने 6 और सीपीएम ने 4 सीटों किस्मत आजमाई थी. महागठबंधन को केवल 110 सीटों पर जीत मिली और वह सत्ता की तहलीज तक पहुंचकर भी सरकार नहीं बना सकी. आरजेडी ने 75, कांग्रेस ने 19 और वामपंथी 12 सीटें जीती थीं. इस बार के चुनाव में आरजेडी को मुकेश सहनी और पशुपति पारस को सीटें देनी है, लेकिन जिस तरह सीटों की डिमांड कर रहे हैं, उससे पूरा करना तेजस्वी के लिए आसान नहीं है.

छोटे दलों की पूरी होगी बड़ी ख्वाहिश!

बिहार में इंडिया गठबंधन छोटे दल बड़ी ख्वाहिश जता रहे हैं. वीआईपी से लेकर लेफ्ट तक अपनी सीटें बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं, ताकि खुद को बिहार की राजनीति में किंगमेकर की स्थिति में लाकर खड़ा किया जा सके. कांग्रेस इस बार खुद को पहले से ज्यादा मज़बूत बताकर 70 से अधिक सीटों पर दावा कर रही है. पार्टी का कहना है कि वो राज्य में निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है. इससे सीट बंटवारे को लेकर तेजस्वी यादव पर दबाव और बढ़ गया है.

सीटों की संख्या देखते हुए तेजस्वी यादव को सभी दलों को साथ लेकर एक ऐसा फॉर्मूला तैयार करना होगा, जिससे कोई भी घटकदल नाराज न हो. गुरुवार को गठबंधन की होने वाली बैठक से पहले ही सीट बंटवारे को लेकर जिस तरह से दावेदारी की गई, उसके चलते महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव क्या अपने सहयोगी दलों की मन की मुराद पूरी कर पाएंगे? क्योंकि सीटों की डिमांड जिस तरह से है, उसे पूरा करना आसान नहीं है.

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