पेंच टाइगर रिजर्व से प्रदेश के कई स्थानों पर चीतल भेजे जा रहे हैं। अब तक सबसे अधिक चीतल कूनों और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भेजे गए हैं। सतपुड़ा में जहां 1955 चीतल भेजे गए हैं वही कूनों में 987 चीतल शिफ्ट किए गए हैं। प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में से पेंच टाइगर रिजर्व में सबसे अधिक 55 हजार से अधिक चीतल हैं।वहीं प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व व राष्टीय उद्यान में चीतलों की संख्या काफी कम है। पेंच में बढ़ते चीतलों की संख्या को संतुलित करने के साथ अन्य टाइगर रिजर्व, उद्यान में इनकी संख्या बढ़ाने के लिए पेंच टाइगर रिजर्व से चीतलों को शिफ्ट किया जा रहा है। पेंच में घास के मैदान अधिक हैं, इसीलिए रहना पसंद करते हैं पेंच के अधिकारियों के अनुसार पेंच टाइगर रिजर्व में घास के मैदान अधिक है। साथ ही यहां सागौन, गरारी व मिश्रित पेड़ है। इन पेंडों के आसपास प्रचुर मात्रा में घास होती है। चीतल घास वाले क्षेत्र में ही रहना पसंद करते हैं। इसलिए अन्य राष्ट्रीय उद्यानों के स्थान पर पेंच टाइगर रिजर्व में चीतलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पेंच राष्ट्रीय उद्यान में चीतलों को पकड़ने के लिए पुरानी बोमा पद्धति अपनाई जा रही है। इस पद्धति में चीतल के रहवासी क्षेत्र में लकड़ी का खूंटा गड़ा का पर्दा व नेट से बड़े क्षेत्रफल को कवर कर बोमा तैयार या जाता है।चीतलों को आकर्षित करने के लिए उनका पसंदीदा चारा के अलावा समय-समय पर महुआ रखा जाता है।  बोमा के अंदर मौजूद कर्मचारी चीतलों के बोमा में आते ही उसका गेट बंद कर देता है। इसके बाद बोमा के गेट में वाहन खड़ा किया जाता है और गेट खुलते ही हड़बड़ाहट में बोमा के अंदर फंसे चीतल सीधे वाहन में चढ़ जाते हैं।इसके बाद इन चीतलों को शिफ्ट कर दिया जाता है।


पेंच टाइगर रिजर्व से सतपुडा़, नौरादेही, कूनों और खंडवा में अब तक 3891 चीतल भेजे जा चुके हैं।मानसून में भी चीतलों को पकड़कर शिफ्ट करने का कार्य जारी रहेगा।

रजनीश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व