लोक आस्था और नेम निष्ठा का महापर्व छठ को लेकर उत्साह का माहौल है.रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. सोमवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. इसके साथ ही चार दिवसीय महापर्व संपन्न हो जायेगा. रांची के बुंडू प्रखंड के हेठ बूढ़ाडीह स्थित नीम पेड़ के नीचे सूर्य की प्राचीन मूर्ति झारखंड की धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर है, जहां पर प्रतिदिन ग्रामीण पूजा-अर्चना करते हैं. सप्त रथी में विराजमान भगवान सूर्य की मूर्ति सैकड़ों वर्ष पुरानी है. ये कांची नदी के किनारे स्थित है. महापर्व छठ के मौके पर श्रद्धालुओं व व्रतियों ने अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की.

सातवीं शताब्दी की मूर्ति
बताया जाता है कि यह प्राचीन मूर्ति सातवीं शताब्दी की है. छठ व्रती कांची नदी में अर्घ्य देकर सूर्य मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करते हैं. देवस्थल पर श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होती हैं. इसीलिए यहां पर सालोंभर दूरदराज से लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. इस स्थान को ग्रामीणों द्वारा भव्य रूप से सजाया है और भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जारी है.

बुंडू सूर्य मंदिर में महापर्व छठ
रांची के बुंडू स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में महापर्व छठ पर बुंडू सहित पूरे पंच परगना के अलावा राजधानी रांची के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचे. यहां छठ घाट की साफ-सफाई, विद्युत सज्जा की गयी है. रांची के बुंडू प्रखंड के एदेलहातु स्थित रांची-टाटा राष्ट्रीय मार्ग-33 के किनारे विशाल सूर्य मंदिर की धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर के रूप में पहचान है. इस मंदिर के निर्माण के लिए यहां के तत्कालीन मुंडारी खूंटकट्टी जमींदार स्वर्गीय प्रधान सिंह मुंडा ने 27 अप्रैल 1988 को एक सादा पट्टा में तत्कालीन संस्कृति बिहार के अध्यक्ष सीताराम मारू को 11 एकड़ जमीन सूर्य मंदिर निर्माण के लिए दी थी. मंदिर का निर्माण कार्य 4 वर्षों में पूरा कर लिया गया था.