लखनऊ। उत्तर प्रदेश मे नगर निकाय चुनाव दिसंबर में होने की संभावना है, ऐसे में समाजवादी पार्टी ने नए तेवर के साथ मैदान में उतरने का फैसला किया है। इसके लिए जिलाध्यक्षों, महानगर अध्यक्षों के साथ-साथ पार्टी के विभिन्न मोर्चों की कमान तेज तर्रार और जमीनी नेताओं को सौंपने की तैयारी है। संगठन के जिला स्तरीय ढांचे में यादव-मुस्लिम और अतिपिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व को अमलीजामा पहनाए जाने की कसरत चल रही है।
  सपा ने यूपी विधानसभा चुनाव में हार के बाद सभी कमेटियां भंग कर दी थीं। 4 जुलाई को राष्ट्रीय एवं प्रदेश अध्यक्ष पद को छोड़कर जिला अध्यक्षों, मोर्चा के अध्यक्षों समेत अन्य पदाधिकरियों को भी पद से हटाने का एलान कर दिया था। इसके बाद सदस्यता अभियान चलाया गया। वहीं राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय अधिवेशन कर राष्ट्रीय अध्यक्षों और प्रदेश अध्यक्षों का एलान हो गया। वहीं अब जिला कमेटी के नेतृत्व पर मंथन चल रहा है। सपा के प्रवक्ता विनय सिंह के मुताबिक जल्द ही जिला अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है। यह घोषणा 15 नवम्बर तक होने का अनुमान है। पार्टी नए तेवर के साथ मैदान में उतरेगी।
  सपा और रालोद मिलकर नगर निकाय चुनाव लड़ेंगी। इसके लिए पार्टी ने जिला स्तर पर कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी जिला स्तर पर सपा और रालोद की सीटों का आंकलन करेगी। इसके बाद संभावित नाम और सीटों पर अखिलेश यादव और जयंत चौधरी फैसला करेंगे। ऐसे लोगों को टिकट दिया जाएगा, जो जिताऊ हो। साथ ही सामाजिक रूप से भी जनता के साथ संघर्ष में तत्पर रहते हैं। नगर निकाय चुनाव का कार्यकाल 5 जनवरी को समाप्त हो रहा है।