रवि प्रदोष व्रत का है खास महत्व
सनातन धर्म में रवि प्रदोष व्रत का खास महत्व है, यह व्रत भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है। रवि प्रदोष व्रत से भगवान शिव के साथ-साथ सूर्यदेव की भी कृपा प्राप्त होती है तो आइए हम आपको रवि प्रदोष व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं। प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत का दिन सबसे उत्तम होता है। प्रदोष शब्द का अर्थ होता है संध्या काल यानी सूर्यास्त का समय व रात्रि का प्रथम पहर। चूंकि इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए इसे प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और अत्यंत पवित्र व्रत है, इसे विशेष रूप से भगवान शिव की अराधना के लिए रखा जाता है। भगवान शिव जी को भोलाभंडारी कहा जाता है। इसलिए इस व्रत को श्रद्ध भक्ति से रखने वाले को माहदेव आशीर्वाद जरूर देते हैं। जून 2025 में भी 2 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं।
रवि प्रदोष व्रत के दिन ये करें
अगर आप इन दोनों योग में भोलेनाथ की पूजा करते हैं, तो आपकी मनचाही मनकामना पूरी हो सकती हैं। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, प्रदोष व्रत में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और प्रदोष व्रत की कथा सुननी चाहिए।
जानें रवि प्रदोष व्रत का महत्व
पंडितों के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को अत्यंत शुभ व महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत के फलस्वरूप भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती भक्तों पर अपनी कृपादृष्टि बनाए रखते हैं। इस व्रत के पुण्यफल से व्यक्ति द्वारा अपने जीवन काल में किए गए पापों का अंत होता है। साथ ही सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है और वह सत्य के मार्ग पर अग्रसर होता है। भगवान शिव की आराधना को जीवन के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी लाभदायक माना गया है। प्रदोष व्रत वह मार्ग है, जिसपर चलकर व्यक्ति अंत में जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इस व्रत के प्रभाव से जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जो व्यक्ति पूरी निष्ठा से इसका पालन करता है, उसकी मनोकामनाएं भी भगवान शिव पूर्ण करते हैं। इस व्रत से मिलने वाला पुण्यफल भी व्यक्ति के जीवन में सफलता के नए द्वार खोल देता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से दो गायों को दान करने के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। इस सभी कारणों से प्रदोष व्रत को शुभ, पावन और कल्याणकारी माना जाता है। इस संसार में प्रदोष व्रत एक डोरी के समान है जो लोगों को भगवान शिव की भक्ति से जोड़ कर रखता है।