आगरा शहर में गर्मी अपने चरम पर है. तापमान की बात की जाए तो आगरा शहर का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक चला गया है. ऐसे में पशु पक्षियों से लेकर इंसान भी बेहाल है. वहीं, अगर शहर के मंदिरों की बात की जाए तो मंदिरों में भी इस गर्मी की वजह से भगवान की पूजा और भोग प्रसाद में तब्दीली की गई है. आगरा के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर में भगवान भोलेनाथ को ऐसे फलों का भोग लगाया जा रहा है जिनकी तासीर ठंडी होती है. उनके ऊपर 24 घंटे शीतल जलधारा प्रभावित की जा रही है.

मंदिर के महंत योगेश पुरी बताते हैं कि भगवान मनकामेश्वर महादेव को गर्मी से बचाने के लिए उनके प्रसादी में बदलाव किया गया है. उन्हें इस गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए तरबूज, चने का सत्तू, आम का पना, लस्सी, जूस आदि का भोग लगाया जा रहा है. भगवान को मटके में रखे शीतल गंगाजल से स्नान कराया जाता है. गर्मी में खस का इत्र लगाया जाता है. जिसकी तासीर ठंडी होती है. जैसे सर्दी के मौसम में भगवान भोलेनाथ की दिनचर्या में और खान-पान में हम बदलाव करते हैं. ठीक उसी तरह से गर्मियों के दिनों में भी भगवान भोलेनाथ को शीतलता प्रदान करने के लिए यह बदलाव किए जाते हैं.

24 घंटे चांदी के पत्र से बहती है जलधारा
भगवान मनकामेश्वर को रामनवमी से लेकर सावन की एकादशी तक बाबा के सिर के ऊपर ठंडी शीतल गंगाजल की जलधारा चढ़ाई जाती है. शाम को शिवलिंग को वस्त्र नहीं पहनाए जाते हैं. स्नान करने के लिए मिट्टी के घड़े में रखे गंगाजल से ही पूरी गर्मी स्नान कराया जाता है. भगवान को प्रसाद में मौसमी फल और जूस का सेवन कराया जाता है. जैसे हम इंसानों पशु पक्षियों को गर्मी लगती है. ऐसे ही मन का भाव है कि भगवान को भी गर्मी ना लगे. इसी श्रद्धा भाव के अनुसार यह बदलाव किए जाते हैं.