ग्वालियर   सूर्य ग्रहण एक खगोलिया घटना है। सूर्यग्रहण का ज्योतिष और धार्मिक महत्व भी काफी है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले सुबह चार बजे लग गया था। सूर्यग्रहण का स्पर्श चार बजकर 29 मिनिट पर हुआ। सूर्य ग्रहण का मोक्ष पांच बजकर 32 मिनिट पर हुआ। दीपावली पर सूर्यग्रहण 27 साल बाद हुआ है। सूर्यग्रहण का सूतक लगने से पहले दीपावली पूजन के बाद रात को ही मंदिरों के पट बंद कर दिये गये थे।

घरों व मंदिराें में हुए सुंदरकांड व हनुमान चालीसा के पाठ

सूर्यग्रहण शुरू होते ही घरों में भजन-कीर्तन के साथ सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया। सूर्यग्रहण के कारण दीपावली का पूजन करने के बाद देव दर्शन नहीं कर पाये। लोगों ने रात में ही दीपावली पूजन के बाद रात में ही नगर के प्रमुख मंदिरों में जाकर दर्शन किये। सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजन बुधवार को होगी।

शुद्धि के बाद आज होंगे देव दर्शन

ग्रहण के मोक्ष के बाद मंदिरों के शुद्धिकरण व देव प्रतिमाओं को अभिषेक करने के साथ खुल दिये जाते थे। ज्योतिषाचार्य पं रवि शर्मा के अनुसार सूर्यग्रहण का मोक्ष सूर्यास्त के समय हुआ है। सूर्यास्त के बाद मंदिरों का शुद्धिकरण नहीं किया जाता है। इसलिए दूसरे दिन बुधवार को सूर्यादय पर मंदिरों में शुद्धिकरण व गोवर्धन पर देव प्रतिमाओं का अभिषेक कर श्रृंगार कर दर्शनों के लिये पट खुलेंगे।घरों में दीपावली के पूजन के बाद आधी रात को पटे उठा दिये थे। जो लोग दीपावली नहीं उठा पाये, वो अब बुधवार को पटे उठायेंगें।

दान-पुण्य भी सुबह किया जायेगा

शास्त्रो में ग्रहण के बाद दान-पूण्य का महत्व भी बताया गया है। इस बार सूर्यग्रहण के दूसरे दिन शुद्धि के बाद दान पुण्य किया जाएगा।