फेक न्यूज फैलाने वाले यूट्यूब चैनल पकड़े गए, सरकार कर रही कार्रवाई
नई दिल्ली। फेक न्यूज फैलाने वाले 8 यूट्यूब चैनलों को केंद्र सरकार ने पकड़ा है। ये चैनल भारतीय सेना, सरकारी स्कीमों, लोकसभा चुनावों और कई अन्य गंभीर मुद्दों पर भ्रामक जानकारियां फैला रहे थे। इन चैनलों के कुल मिलाकर ढाई करोड़ सब्सक्राइबर्स हैं। इसके पहले सितम्बर में कई यूट्यूब चैनलो के वीडियो भी ब्लॉक किए गए थे।
इन चैनलों के नाम हैं- यहां सच देखो, कैपिटल टीवी, केपीएस न्यूज, सरकार व्लॉग, अर्न टेक इंडिया, एसपीएन 9 न्यूज, एजुकेशनल दोस्त और वर्ल्ड बेस्ट न्यूज। अधिकारियों ने बताया कि प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने इन चैनलों पर फेक न्यूज का फैक्ट चेक किया है
कोई चैनल सरकारी स्कीम, कोई सेना को लेकर गलत जानकारी फैला रहा
एसपीएन9 न्यूज: 48 लाख सब्सक्राइर्स और 189 करोड़ व्यू वाला ये चैनल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कई केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ फेक न्यूज फैला रहा था।
सरकारी व्लॉग: 45 लाख सब्सक्राइर्ड्स और 9.4 करोड़ व्यू वालो ये चैनल सरकारी स्कीमों के बारे में फेक न्यूज चला रहा था।
एजुकेशनल दोस्त : चैनल के 34.3 लाख सब्सक्राइर्स और 23 करोड़ व्यू हैं। ये चैनल सरकारी स्कीमों के बारे में गलत जानकरी फैला रहा था।
कैपिटल टीवी: 35 लाख सब्सक्राइबर्स और 160 करोड़ व्यू वाला ये चैनल पीएम मोदी, सरकार और पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की घोषणा से जुड़ी फेक न्यूज फैला रहा था।
यहां सच देखो: 30 लाख सब्सक्राइबर्स और 10 करोड़ से ज्यादा व्यू वाला चैनल इलेक्शन कमीशन और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के बारे झूठी जानकारी दे रहा था।
वर्ल्ड बेस्ट न्यूज: इस चैनल के 17 लाख सब्सक्राइबर्स और 18 करोड़ से ज्यादा व्यू हैं। ये चैनल भारतीय सेना को रिप्रिजेंट कर रहा था।
केपीएस न्यूज: इस चैनल के 10 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर और 13 करोड़ से ज्यादा व्यू हैं। ये सरकारी स्कीमों, आदेशों को लेकर गलत जानकारी दे रहा था। जैसे गैस सिलेंडर 20 रुपए में मिल रहे हैं और पेट्रोल की कीमत 15 रुपए प्रति लीटर हो गई है।
अर्न इंडिया टेक: चैनल के 31 हजार सब्सक्राइबर्स और 36 लाख व्यू हैं। ये आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य डॉक्यूमेंट्स ये जुड़ी फेक न्यूज फैला रहा था
पिछले साल सितंबर में खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर सरकार ने यूट्यूब को 10 यूट्यूब 'चैनलों से 45 वीडियो को ब्लॉक करने का निर्देश दिया था। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनुसार ये वीडियो फेक न्यूज फैलाकर पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को खराब कर रहे थे।