आज तक हमने आपके ऐसे मंदिरों के बारे में बताया है कि जहां देवी-देवताओं की पूजा मूर्ति रूप में होती है। परंतु क्या आप जानते हैं हमारे देश में एक ऐसा भी मंदिर है जहां देवी-देवता की मूर्ति पूजा नहीं बल्कि श्री यंत्र की पूजा होती है। जी, आप ने बिल्कुल सही पढ़ा है। तो चलिए जानते हैं कहां ये मंदिर जहां श्री यंत्र की पूजा होती है। इसके अलावा जानेंगे भारत में स्थित दो अन्य मंदिरों के बारे में-

अम्बा जी माता मंदिर
अम्बा जी माता मंदिर भारत में मां शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रधान पीठ है। यह मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर अरासुर पर्वत पर स्थित है। यहां कोई मूॢत स्थापित नहीं है केवल पवित्र श्रीयंत्र की पूजा मुख्य आराध्य रूप में की जाती है। इस यंत्र को कोई भी सीधे आंखों से देख नहीं सकता एवं इसकी फोटोग्राफी भी निषेध है। मां अम्बा जी का मूल पीठ स्थल कस्बे में गब्बर पर्वत के शिखर पर है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1200 वर्ष से अधिक प्राचीन है।

श्रीनाथ जी मंदिर
भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धनधारी के रूप में पूजा जाता है। श्रीनाथ जी मंदिर राजस्थान के उदयपुर में स्थित है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर भगवान श्रीनाथजी (श्री कृष्ण) को समर्पित है। इस मंदिर को 'श्रीनाथ जी की हवेली' के नाम से भी पुकारा जाता है। मंदिर का ढांचा बेहद साधारण है मगर मंदिर का सौंदर्यात्मक आकर्षण अद्भुत है। श्रीनाथ जी की छवि भगवान के दिव्य सौंदर्य को देखने और महसूस करने लायक है।

चामुंडा देवी मंदिर
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की धर्मशाला तहसील के पालमपुर कस्बे में स्थित यह मंदिर देवी शक्ति के 51 शक्तिपीठों में से एक है। वर्तमान में उत्तर भारत की 9 देवियों में चामुण्डा देवी का दूसरा दर्शन होता है। मंदिर माता काली को समर्पित है जो शक्ति और संहार की देवी हैं। जब-जब धरती पर कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवों का संहार किया है। असुर चण्ड-मुण्ड के संहार के कारण माता का नाम चामुण्डा पड़ गया। मंदिर समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह धर्मशाला से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां प्रकृति ने अपनी सुंदरता भरपूर मात्रा में प्रदान की है। मंदिर बंकर नदी के किनारे स्थित है और पर्यटकों के लिए भी यह एक पिकनिक स्पॉट है।