बैतूल। जादू टोने के लिए भालू का शिकार कर उसके गुप्तांग और पंजे काट डालने वाले  तीन आरोपियों को बैतूल के  कोर्ट ने तीन तीन साल की कैद और दस दस हजार रु के अर्थदंड की सजा से दंडित किया है। आरोपियों ने सात साल पहले भालू का शिकार कर उसके पंजे,गुप्तांग काट कर लाश जमीन में गड़ा दी थी।।     

 

 न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी बैतूल ने इस मामले में  शाहपुर क्षेत्र के आरोपी ओझा पिता किषन,(52)  निवासी काजरीढाना तहसील शाहपुर, मन्नू पिता चतरू (52)  निवासी लौंगनढाना, जगदीश पिता भैयालाल इवने(39)  निवासी लौंगनढाना  को धारा 9/51 वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के अपराध में दोषी पाते हुये प्रत्येक आरोपी को 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10-10 हजार रूपये के जुर्माने से दंडित किया है। प्रकरण में एडीपीओ  अजीत सिंह के द्वारा पैरवी की गई। 

 

  ऐसे हुई थी शिकार की घटना

 

 05 जून 2016 को एसडीओ फॉरेस्ट शाहपुर को मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि ग्राम काजरीढाना में भालू का शिकार  किया गया है। सूचना के आधार पर वन अधिकारी  और कर्मचारियों का एक दल ग्राम काजरीढाना सरवन के खेत पर बने कुएं पर पंहुचा। कुऐं के आस-पास घूम-फिर कर देखने पर कुएं के किनारे काले रंग के लगभग 6 से 8 इंच लंबे भालू के बाल जमीन पर पड़े  दिखाई दिये। कुएं के अंदर भी कुछ बाल दिखाई दिये जिन्हें निकलवाया गया और मौके पर ही उन्हें जप्त किया गया। दल ने आस-पास के क्षेत्र की तलाशी की। इस।दौरान एक खेत की सीमा से लगे नाले में रेत से बाहर निकले हुये बाल दिखाई दिये । तब उस स्थान की रेत हटाई गई।  रेत हटाने पर काले रंग के भालू का शव दिखाई दिया । जिसे बाहर निकाला गया जो कि लगभग 3-4 वर्ष का भालू का शव था। उसके चारो पंजे और गुप्तांग मौजूद नही थे। मुखबिर सूचना के आधार पर ही वन अमला आरोपी मन्नू के घर पंहुचा वहां उसके साथ जगदीश बैठा हुआ दिखाई दिया।  जिनसे खेत के पास रेत में दबे मृत भालू के संबंध में पुछताछ की गई। मन्नु ने उसके पास रखे थैले में से भालू का पंजा निकालकर दिखाया और उसने यह भी बताया कि वह भालू का पंजा नाखुन के लिए काटकर लाया है। मौके पर ही मन्नु और जगदीश के पास रखे थैले में से रीछ का पंजा जप्त किया गया। अभियुक्त ओझा से पुछताछ की गई तो उसने अपना जुर्म स्वीकारते हुये यह बताया कि वह भालू का पंजा कांटकर लाया था और थ्रेसर के उपर लाकर रख दिया है। आरोपी ओझा की सूचना पर उसके घर से भालू का पंजा जप्त किया गया। मौके पर ही मौका पंचनामा तैयार किया गया। विवेचना के दौरान  जप्त भालू के अवशेषों का परीक्षण देहरादुन फारेंसिक लैब  से करवाया गया था।