अलग मत व्यक्त करने का अधिकार ही लोकतंत्र का आधार: श्रीधरन पिल्लई
पणजी | गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लई ने कहा है कि अलग मत करने का अधिकार ही लोकतंत्र का आधार है और देश के मतदाताओं ने विपक्ष को एक अहम भूमिका अदा करने का मौका दिया है जिसमें 1952 से सत्तारूढ़ पार्टी को कुल डाले गए मतों का कभी भी 50 प्रतिशत से ज्यादा हासिल नहीं हुए है।
श्री पिल्लई ने मंगलवार को यहां राष्टीय मतदाता दिवस के मौेके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा अलग मत व्यक्त करने का अधिकार ही लोकतंत्र का आधार है और मैं अपने सीमित ज्ञान के संदर्भ में एक बात कहना चाहूंगा कि देश में 1952 से संसदीय चुनावों में मतदाताओं ने अपने कुल डाले गए मतों में से किसी भी राजनीतिक पार्टी को 50 प्रतिशत से अधिक वोटों से नहीं जिताया है। देश में लोकतांत्रिक चुनावों में 1952 से अब तक किसी भी सत्तारूढ़ दल को कुल डाले गए मतों को 50 प्रतिशत से अधिक हासिल नही हुआ है । जहां तक मेरी जानकारी है तो 1984 में भी सत्तारूढ़ दल को 49 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए थे। संसद में बहुमत हासिल करने वाली पार्टियां भी उस मानक से कम ही रही हैं।
उन्होंने कहा, इसका अर्थ यह निकाला जा सकता है कि हमारे देश में मतदाताओं ने विपक्ष को समान रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और हमारा लोकतंत्र एक प्रतिद्वंद्वी-उन्मुख राजनीतिक व्यवस्था है।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि जनता को शिक्षित करना राजनेताओं का मूल कर्तव्य है। उन्होंने मतदाता शिक्षा कार्यक्रमों पर जोर देने के लिए भारत के चुनाव आयोग के प्रयासों की भी सराहना की।
उन्होंने कहा, लोकतंत्र में जनता सर्वोच्च हैं और वो ही देश की मालिक हैं लेकिन हमें उन्हें शिक्षित करना होगा। राजनीतिक दल किस हद तक अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं यह एक सवालिया निशान है, और मैं उस पर नहीं जाना चाहता।
राज्यपाल ने कहा सवाल यह है कि राजनीतिक दलों की ओर से उपने दायित्वों को पूरा किया जा रहा है या नहीं। तथ्य यह है कि भारत का चुनाव आयोग आज भी मतदाता शिक्षा कार्यक्रमों पर इतना जोर दे रहा है और यह दर्शाता है कि हमें 100 प्रतिशत मतदाता शिक्षा का लाभ उठाने के लिए,अभी भी एक लंबा सफर तय करना है ।