जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया. इसके चलते भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकवादी ठिकानों पर हमला बोला और एयर स्ट्राइक की. 7 मई को मॉक ड्रिल का भी आयोजन किया जा रहा है. इससे पहले साल 1971 में मॉक ड्रिल की गई थी. इसके बाद आज, यानी 7 मई को मॉक ड्रिल हो रही है.

मॉक ड्रिल के दौरान देश के कई हिस्सों में ब्लैकआउट किया जाएगा. इससे पहले जब भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध हुआ था. तब उत्तर प्रदेश के आगरा में भी ब्लैकआउट किया गया था. उस समय आगरा में स्थित ताजमहल को तिरपाल से पूरी तरह से ढक दिया गया था. ऐसा इसलिए किया गया था, जिससे की दुश्मन की सेना को आसमान से ताजमहल दिखाई न दे और वह इसे निशाना न बना सके.

ताजमहल को दिया गया था जंगल का रूप

ताजमहल को न सिर्फ तिरपाल और टाट से ढका गया था. बल्कि उसके आसपास पेड़ की टहनियां और झाड़ियां लगाकर ताजमहल को जंगल जैसा रूप दे दिया गया था. इसके बाद अंदाजा लगाना भी मुश्किल था कि उस जगह पर ताजमहल है. ऐसे में युद्ध के दौरान ये स्ट्रेटेजी काफी कारगर साबित हुई थी. इससे पहले पाकिस्तानी सेना पहले आगरा में दो जगह बम गिरा चुकी थी. इसलिए ताजमहल की सुरक्षा को देखते हुए ये ऑर्डर दिया गया था, जो काम का साबित हुआ.

दो जगहों पर पहले ही गिर चुके थे बम

सीनियर इतिहासकार राजकिशोर शर्मा ने उस समय के बारे में बताया कि पाकिस्तानी सेना के लड़ाकू विमान पहले खेरिया रनवे, जो आगरा एयरपोर्ट का हिस्सा है. उस पर और कीठम क्षेत्र में बम गिरा चुकी थी. इसी वजह से ताजमहल को ढकने का आदेश दिया गया था. ताजमहल को ढकने में उस समय में करीब 20500 रुपये का खर्चा आया था. उस वक्त 12 दिन तक ताजमहल पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था.

हालातों को देखकर उठाए जाएंगे कदम

अब आगरा में आज रात को 8 बजे ब्लैकआउट किया जाएगा. इस दौरान सायरन बजाए जाएंगे. ये लोगों को जंग की स्थिति में उससे पहले जंग के लिए सावधान करने का एक तरीका है. ये जानकारी आगरा के डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने दी. उन्होंने इस बार ताजमहल को ढकने की संभावना को लेकर बताया कि गृह मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी किया गया है. इस बारे में सभी प्रोटोकॉल दिए गए हैं. हालात को देखते हुए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.