इंदौर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी के 13 फीसदी पद रोके रखने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि किस आदेश के तहत सरकार ने ओबीसी के 13 फीसदी पद रोके हैं, जबकि संबंधित याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि वह अपने कानून को लागू करने में क्यों हिचकिचा रही है।

हाईकोर्ट की सुनवाई में उठे सवाल

शिक्षक भर्ती में ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति रोकने से जुड़ी याचिकाओं पर चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक शाह ने कहा कि शिक्षक भर्ती की दूसरी काउंसलिंग में याचिकाकर्ताओं समेत ओबीसी वर्ग के एक हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए गए हैं। सरकार ने इसका कोई लिखित कारण नहीं बताया है।

आरटीआई के तहत मिली जानकारी

अभ्यर्थियों ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी तो पता चला कि 4 अगस्त 2023 को पारित अंतरिम आदेश के कारण नियुक्तियां रोक दी गई हैं। हालांकि, इस याचिका को हाईकोर्ट ने 28 जनवरी 2025 को खारिज कर दिया था। इसके बावजूद सरकार ने नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए हैं।

महाधिवक्ता का जवाब

महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि शिवम गौतम की याचिका में 4 मई 2022 को पारित अंतरिम आदेश के कारण ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी जा रही है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि शिवम गौतम की याचिका का हाईकोर्ट ने निपटारा कर दिया है। इसे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

हाईकोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 फरवरी 2025 को छत्तीसगढ़ राज्य में 58% आरक्षण लागू करने की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि जब दोनों राज्यों का विवाद एक ही है तो सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को मध्य प्रदेश में क्यों लागू नहीं किया जा रहा है। इस पर महाधिवक्ता ने सरकार से निर्देश लेने के लिए समय मांगा।

हाईकोर्ट की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की, 'यह अजीब है कि सरकार अपने कानून को लागू करने में क्यों हिचकिचा रही है।' कोर्ट ने आगे कहा कि जिस आधार पर पदों को होल्ड किया गया था, उस याचिका के खारिज होने के बाद भी 13% पद क्यों नहीं खोले गए।

अंतरिम आदेश

हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि राज्य सेवा की सभी भर्तियों में, भले ही प्रक्रिया पूरी हो गई हो, ओबीसी के 13% पद रिक्त रखे जाएं। याचिकाओं के निर्णय के बाद ही इन पदों को भरा जाएगा। कोर्ट ने सरकार को 2019 से अब तक की सभी भर्तियों से जुड़े तथ्य लिखित में दाखिल करने के निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल 2025 को होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक शाह, पुष्पेंद्र शाह और रूप सिंह मरावी ने पैरवी की।