रविन्द्र सुसाइट केस में रंजीत और प्रकाश को एड इंट्रीम जमानत। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने तक दी जमानत

बैतूल। बहुचर्चित भाजपा नेता रविंद्र देशमुख सुसाइट केस में 65 दिन से फरार मुख्य आरोपी माने जाने भाजपा नेता रंजीत सिंह और प्रकाश शिवहरे को सुप्रीम कोर्ट से एक एक।लाख रुपए के मुचलके पर एड इंट्रीम जमानत मिल गई है। उनकी अग्रिम जमानत के लिए लगी याचिका पर 21 जनवरी तक होने वाली सुनवाई तक यह जमानत दी गई है। इसके लिए उन्हें एक एक लाख रु का मुचलका भरना होगा। रंजीत के फरार होने से पुलिस ने उनकी संपत्ति कुर्की की कार्रवाई शुरू कर दी थी।
बैतूल में अधिवक्ता अंशुल गर्ग ने इसकी पुष्टि करते हुए खबरम को बताया कि रंजीत सिंह और प्रकाश को आज सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राहत दी है। उनके जमानत आवेदन पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए संबंधित विपक्ष यानी पुलिस को सूचना पत्र जारी किया है। आज किए गए आदेश में उन्हें अंतरिम के पूर्व दी जाने वाली राहत यानि एड इंट्रीम बेल दी है। जिसमें कहा गया है कि उनकी याचिका पर सुनवाई होने तक अगर आरोपी की गिरफ्तारी होती है तो उसे 1 लाख रु के मुचलके पर छोड़ा जाए। यह राहत 21 जनवरी 2025 तक केस पर होने वाली सुनवाई तक है।
आदेश में यह कहा गया
सामान्य पद्धति के अतिरिक्त, याचिकाकर्ताओं को प्रतिवादी/राज्य के स्थायी वकील के माध्यम से नोटिस देने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
अंतरिम आदेश के तहत, गिरफ्तारी की स्थिति में, याचिकाकर्ताओं को पुलिस स्टेशन सारनी, जिला बैतूल, मध्य प्रदेश में पंजीकृत एफआईआर संख्या 444 दिनांक 8.10.2024 के संबंध में जमानत पर रिहा किया जाए, बशर्ते कि वे प्रत्येक 1,00,000/- (केवल एक लाख रुपये) की राशि के व्यक्तिगत बांड पर हस्ताक्षर करें, जिसमें समान राशि के एक या अधिक जमानतदार हों।
हालांकि, याचिकाकर्ताओं को जांच में सहयोग करने और निर्देश मिलने पर जांच अधिकारी को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया जाता है। ( आदेश का हिंदी में किया गया अनुवाद)
यह था मामला
भाजपा नेता रविंद्र देशमुख ने 7 अक्टूबर को खुद की कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। सारणी पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर बड़ी कार्रवाई करते हुए दस लोगों को आरोपी बनाया था। सुसाइड नोट में जिन लोगों के नाम दर्ज थे, उन पर मृतक को पैसों की मांग के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने की धमकी देने का आरोप है।
सुसाइड नोट में आरोपी रंजीत सिंह, प्रकाश शिवहरे, दीपक शिवहरे, प्रमोद गुप्ता, अभिषेक साहू, मोहम्मद नसीम रजा, शमीम रजा, नाजिया बानो, करण सूर्यवंशी और भोला सिंह उर्फ रामनारायण सिंह के नाम शामिल थे। इनमें छ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।जबकि एक को अग्रिम जमानत मिल गई है।
क्या होती है अंतरिम जमानत
अंतरिम जमानत एक छोटी अवधि की जमानत होती है. कोर्ट इसे तब देता है जब रेगुलर बेल की एप्लीकेशन पर सुनवाई चल रही होती है. दरअसल जब कोई शख्स रेगुलर बेल या नियमित जमानत की एप्लीकेशन दायर करता है तो कोर्ट इस मामले में चार्जशीट या केस डायरी की मांग करता है जिससे आम जमानत पर फैसला लिया जा सके.
इस पूरी प्रकिया में वक्त लगता है. कोर्ट तक दस्तावेज पहुंचने की अवधि में उस शख्स को हिरासत में रहना पड़ता है. ऐसे में हिरासत में रहने वाला शख्स अंतरिम बेल की मांग कर सकता है. जिससे कि वो शख्स उस अवधि तक जब तक कि दस्तावेज कोर्ट तक नहीं पहुंचते कस्टडी में रहने से राहत पा सके.
इस तरह से अंतरिम जमानत छोटी अवधि की एक अस्थाई जमानत होती है. कोर्ट दस्तावेज मिलने के बाद आगे आम जमानत पर सुनवाई करता है. अंतरिम जमानत का प्रावधान इसलिए है कि दस्तावेजों में देरी की वजह से किसी शख्स को ज्यादा वक्त तक कस्टडी में न रहना पड़े.