बैतूल। पारिवारिक रिश्तों में भाभी ननद के नारी कहा जाता है की उनमें अक्सर नोंक झोंक होती है।लेकिन बैतूल में दो युवतियों ने अपनी युवा भाभी की मृत्यु के बाद बड़ी मिसाल पेश की है। शादीशुदा युवतियों ने भाभी की पुण्यतिथि पर अपने पति के साथ देहदान का संकल्प लेते हुए इसका घोषणा पत्र भर दिया है।

भाभी ने दो साल पहले लंग्स इन्फेक्शन के बाद दम तोड़ दिया था। आइए जानते है इस प्रेरणादायी संकल्प और भाभी ननद की अनूठी केमिस्ट्री की कहानी। 

 

लव मैरिज से शुरू हुई कहानी 

 

 

बैतूल के टिकारी इलाके में रहने वाले समाजसेवी देवेंद्र बरथे ने साल 2016 में हर्षा धोटे के साथ प्रेम विवाह किया था। लेकिन यह जोड़ी ज्यादा दिन साथ नही रह सकी। हर्षा की शादी के कुछ ही दिन बाद उसे बीमारी ने ऐसे घेरा की उसकी सांसों पर भी मौत का पहरा लग गया। लंग्स इन्फेक्शन से।पीड़ित हर्षा का बहुत इलाज कराया गया।लेकिन उसे बचाया नही जा सका। 12 जुलाई 2022 को वह जिंदगी की जंग हार गई। 

 

 

बहनों की तरह था प्यार 

 

शादी के इन चार सालों में हर्षा के व्यवहार ने ससुराल वालों का दिल जीत लिया। घर में चार ननद हर्षा के साथ बहनों की तरह रहती । दो बड़ी ननद ब्याह चुकी थी तो छोटी ननदे भाभी की और भाभी ननद की दुलारी बन गई। तीनो की केमिस्ट्री इतनी मजबूत थी की एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल था।लेकिन वक्त के आगे वे ऐसे हारे की लाडली भाभी ने साथ छोड़ दिया। आज गायत्री और कुणाली की आंखे बार बार भर आती है।जब वे हर्षा को याद करती है। कुनाली बताती है की वह भाभी से भी बढ़कर हमारे लिए बहन जैसी थी। 

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दोनो ने किया पुण्यतिथि पर संकल्प

 

12 जुलाई को हर्षा की दूसरी पुण्यतिथि आई तो गायत्री(39) अपने पति राजेंद्र बामनिया के साथ ससुराल खरगोन से बैतूल पहुंच गई।जबकि छोटी ननद कुनाली (30)सौंसर से स्वर्गवासी भाभी के लिए मायके आ पहुंची। तीनो ने पुण्यतिथि के दिन हर्षा की स्मृति में अनूठा संकल्प लिया । उन्होंने रेडक्रॉस बैतूल पहुंचकर अपनी देहदान करने की शपथ ली। अध्यक्ष डॉक्टर अरुण जयसिंह पूरे ने दोनो ननद और नंदोई के।देहदान का फार्म भरा।जबकि देवेंद्र पहले ही देहदान का संकल्प ले चुके है। गायत्री की माने तो भाभी की पुण्य तिथि पर देहदान का संकल्प इसी लिए लिया ताकि उनकी याद हमेशा ताजा रहे और खुद मरने के बाद भी किसी पीड़ित के काम आ सके

बैतूल में हुआ बड़ा काम 

 

बैतूल में देहदान को लेकर रेडक्रॉस ने बड़ा काम किया है।यहां अब तक देहदान के सौ तो अंगदान के लिए 400 लोग फर्म भर चुके है। 5 लोगो की देह उनकी मृत्यु के बाद दान भी की चुकी है। रेडक्रॉस अध्यक्ष अरुण जयसिंहपुर बताते है की बैतूल में अंग और देहदान को लेकर लोगो में बड़ी जागृति आई है।उसी का नतीजा है की लोग अक्सर उनके पास आकर अपना संकल्प दोहराते है।