मोहम्मद अमन की रिपोर्ट

बैतूल। एमपीपीएससी (मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग) ने गुरुवार शाम जिस राज्य सेवा परीक्षा-2021 की फाइनल चयन सूची जारी की है।।उसमे बैतूल की आकांक्षा धुर्वे ने पहले ही अटेम्प्ट में जगह बनाते हुए जिला पंजीयक का पद हासिल किया है। इस सूची में वे महिला वर्ग से अकेली पंजीयक चुनी गई है। जबकि डिप्टी कलेक्टर पद के लिए उनका नाम वेटिंग लिस्ट में है। खास बात यह है की आकांक्षा ने यह पद बिना किसी कोचिंग के।सेल्फ स्टडी के बूते हासिल किया है।

 

बैतूल के शंकर वार्ड के टेलीफोन कालोनी निवासी  डॉक्टर आकांक्षा धुर्वे सिविल सर्जन कार्यालय बैतूल के मुख्य लिपिक जयराम धुर्वे और कल्याणपुर में पदस्थ माध्यमिक शिक्षिका मीना धुर्वे की पुत्री है।  आकांक्षा धुर्वे की प्रारंभिक पढ़ाई लिटिल फ्लावर स्कूल से हुई थी। इसके बाद आकांक्षा ने भोपाल से बीएएमएस में प्रवेश लिया। बीएएमएस की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने ने प्रशासनिक सेवा में जाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसी वजह बीएएमएस की डिग्री हासिल करने के बाद किसी अस्पताल में जॉब करने की बजाय भोपाल में ही रहकर एमपी पीएससी की तैयारियां शुरू कर दी। वर्ष 2021 में आकांक्षा ने एमपी पीएससी की परीक्षा दी थी। आकांक्षा ने बताया कि मेन्स एग्जाम के लिए उसने पढ़ाई शुरू की और जुलाई 2023 में मेन्स परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। सफलता का क्रम यहीं नहीं रूका और मेहनत का परिणाम यह हुआ कि पिछले महीने मई में इंदौर में साक्षात्कार देकर आई थी। 

परिणाम आए तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा

गुरूवार की रात एमपी पीएससी के पl परिणाम घोषित किए गए। आकांक्षा ने आंख बंद कर परिणामों को देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना दोगुना हो गया। यह खबर उसने सबसे पहले माता-पिता और भाई अंकित धुर्वे को दी। दरअसल परीक्षा परिणाम में आकांक्षा का चयन जिला पंजीयक के पद पर हुआ था। खुशी के इस क्षण में पूरे परिवार के अलावा पड़ोसियों और अन्य लोगों ने भी आकांक्षा को घर पहुंचकर बधाई दी। इस दौरान उनके माता-पिता के आंखोंं से खुशी के आंसू छलक पड़े।

 

अगला लक्ष्य यूपीएससी क्रेक करने का

 

आकांक्षा ने एमपीपीएससी की परीक्षा क्रेक करने के बाद बताया कि उसके लिए सेल्फ स्टडी को महत्व दिया। मम्मी-पापा ने कोचिंग करने के लिए भी प्रेरित किया था, लेकिन उसे भरोसा था कि सेल्फ स्टडी के लिए नोट्स बनाकर भी सफलता हासिल की जा सकती है। लक्ष्य निर्धारित कर पहले प्री और बाद में मेन्स एग्जाम क्लीयर किया तो उत्साह दो$गुना हो गया। इसी से साक्षात्कार काफी अच्छा गया और उम्मीद थी कि किसी अच्छे पद पर चयन होगा। हालांकि आकांक्षा का कहना है कि वे डिप्टी कलेक्टर का पद चाह रही थी, इसके लिए उसका नाम वेटिंग में है। उसने बताया कि भविष्य में वह यूपीएससी की भी तैयारी करेगी।

इकलौती महिला पंजीयक

 

गुरुवार घोषित हुई सूची में आकांक्षा प्रदेश की इकलौती महिला प्रतिभागी है।जिनका चयन जिला पंजीयक के लिए हुआ है। उन्होंने बताया की उन्होंने पीएससी में।पहली प्राथमिकता डिप्टी कलेक्टर के पद को दिया था।इसके बाद जिला पंजीयक का चयन किया था।।जिसमे उन्हे जिला पंजीयक।का पद हासिल हुआ है। डिप्टी कलेक्टर का पद अभी वेटिंग में है। उन्हे 793 अंक हासिल हुए है। आकांक्षा ने भोपाल के पंडित खुशीलाला शर्मा शासकीय आयुर्वेदिक कालेज से बीएएमएस की डिग्री प्राप्त की है।वे वही जॉब भी करने लगी थी।लेकिन फिर पीएससी की तैयारी के लिए जॉब छोड़ दिया। सेल्फ स्टडी पर भरोसा करते हुए आकांक्षा ने कोई कोचिंग ज्वाइन नही की । इंदौर के निर्वाण आईएएस और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की परीक्षा पूर्व तैयारियों में जरूर वे शामिल हुई। इस परीक्षा को क्रेक करने का इतना जुनून था की वे भोपाल से  200 किमी बैतूल अपने घर  आना ही भूल गई थी। तीज त्यौहार ही वे घर आ पाती थी।

 

सेल्फ स्टडी , नोट्स मेकिंग ने बनाया केरियर

 

आकांक्षा बताती है की  उन्होंने पीएससी की तैयारी में सेल्फ स्टडी, नोट्स मेकिंग ,निरंतर रीडिंग, की स्ट्रेजी को अपनाया। तैयारी के दौरान सोशल मीडिया को पूरी तरह इग्नोर किया। वे कहती है की तैयारी के दौरान डिस्ट्रेक्शन से जितना दूर रहा जाए उतना बेहतर है। पेशंस बहुत ज्यादा जरूरी है। हार्ड वर्क और पूरी तरह डेडीकेशन रहना चाहिए।आप जो भी तैयारी कर रहे है। आकांक्षा के मुताबिक उनके डॉक्टर बन जाने के बाद माता पिता  पर बहुत सोशल प्रेशर था ।।लेकिन मम्मी पापा से बहुत सपोर्ट मिला। उन्होंने यह सोशल प्रेशर मुझ पर नही आने दिया। यह दबाव उनकी शादी को लेकर  था।पर उन्होंने कहा केरियर पहले महत्वपूर्ण है। 

 

हमेशा चिंता होती थी बेटी दूर है

 

पीएससी की तैयारी के लिए बेटी दूर रहती थी तो बहुत तनाव होता था की बेटी कैसे रह रही होगी। यह बताते हुए मम्मी मीना धुर्वे की आंखे भीग जाती है। वे बताती है की हमेशा मन में यही लगा रहता था की बेटी ने  समय पर खाना खाया भी है या नही।बच्चा दूर रहता है तो बहुत सी चिंताएं रहती है। पर उसने अपने आपको खुद संभाला और पढ़ाई की।हमे यही लगता था की वह अपना भविष्य बना ले और अच्छी पढ़ाई करे। उसका भविष्य बन गया।उसकी और हमारी मेहनत सफल हो गई। 

 

 सबसे बड़ी बात यह है कि आकांक्षा ने यह मुकाम सेल्फ स्टडी के बलबुते हासिल किया। एमपीपीएससी की तैयारी कर रहे अन्य विद्यार्थियों के लिए यह किसी सीख से कम नहीं है।