चाय-समोसे के 30 लाख! डॉक्टर की करतूत उजागर, शिकायत करने वाले का ट्रांसफर
जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर में भ्रष्टाचार का एक और चौंकाने वाला मामला सामने आय़ा है. जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग में लाखों का भ्रष्टाचार पकड़ने वाले कर्मचारी का 600 किलोमीटर दूर तबादला कर दिया गया. जिस पर पीड़ित कर्मचारी ने हाईकोर्ट में अपने तबादले को चुनौती दी. जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक जैन ने मामले का संज्ञान लेकर पीड़ित कर्मचारी के तबादले पर रोक लगा दी है और सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है.
जबलपुर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में भ्रष्टाचार, ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर ने पकड़े 30 लाख के फर्जी बिल
जानकारी के मुताबिक जबलपुर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में अमित चंद्रा ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर की पोस्ट पर पदस्थ हैं. अमित पिछले साल जबलपुर के मझौली ब्लॉक में पदस्थ थे. यहां उनके पास 30 लाख रुपए के बिल पहुंचे जिनको देखकर अमित ने जब उनकी पड़ताल शुरू की तो पता चला कि उनमें से ज्यादातर बिल फर्जी हैं. दरअसल मझौली अस्पताल में डॉक्टर पारस ठाकुर बीएमओ के पद पर पदस्थित थे. उन्होंने अमित चंद्रा को 30 लाख रुपये के बिल दिए. जिन्हें डॉक्टर पारस ठाकुर ने अमित को सॉफ्टवेयर पर डालकर वेरीफाई करने के लिए कहा.
20 किमी दूर से आती थी डॉक्टर साहब की चाय, लाने के लिए लगाई थी फोर व्हीलर
अमित ने जब इन बिलों को देखा तो वे भोचक्के रह गए. उन बिलों में समोसा और चाय के लाखों रुपए के बिल भी शामिल हैं. जबकि मझौली के जिस अस्पताल में डॉक्टर साहब पदस्थ थे उसके ठीक सामने चाय की कई दुकानें हैं. इसके बावजूद डॉक्टर साहब की चाय 20 किलोमीटर दूर से अस्पताल तक आने का जिक्र किया गया था. उस चाय लाने ले जाने के लिए एक फोर व्हीलर लगाई गई थी और इसके लिए लाखों रुपए के फर्जी बिल का इस्तेमाल किया गया था.
भ्रष्टाचार की शिकायत करने पर 600 किमी दूर कर दिया गया याचिकाकर्ता का तबादला
अमित चंद्रा ने इन फर्जी बिलों को सॉफ्टवेयर पर चढ़ाने से इनकार कर दिया. उन्होंने ने डॉक्टर पारस ठाकुर की शिकायत जबलपुर स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक से की. साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के दूसरे अधिकारियों को भी इस मामले की जानकारी दी. अमित के आरोपों की जांच कराने के बजाए उनका ट्रांसफर जबलपुर से 600 किलोमीटर दूर मुरैना कर दिया गया.
पीड़ित ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर अमित चंद्रा के पिता सुभाष चंद्रा ने इस ट्रांसफर को गलत मानते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की. एडवोकेट शिशिर सोनी ने बताया कि हाईकोर्ट ने अमित चंद्रा के ट्रांसफर को तुरंत वापस लेने का आदेश दिया है. साथ ही इस घोटाले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की इसका जवाब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिम्मेदार अधिकारियों से मांगा है.